Brihadeeswara Temple: तमिलनाडु का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वैभव
भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत की बात हो तो तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित Brihadeeswara Temple का नाम सबसे पहले आता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और स्थापत्य कला का एक अनुपम उदाहरण भी है। इसे बड़ा मंदिर या तंजाई पेरिया कोविल के नाम से भी जाना जाता है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित यह मंदिर चोल वंश की महानता और उनके स्थापत्य कौशल का प्रतीक है। इस ब्लॉग में हम Brihadeeswara Temple के इतिहास, स्थापत्य, धार्मिक महत्व और रोचक तथ्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Brihadeeswara Temple का इतिहास
Brihadeeswara Temple का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल वंश के महान सम्राट राजा राजा चोल प्रथम ने करवाया था। इसका निर्माण कार्य 1003 से 1010 ईस्वी के बीच पूरा हुआ। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे राजराजेश्वरम् के नाम से भी जाना जाता था। चोल वंश के शासकों ने इस मंदिर को न केवल एक धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसे अपनी शक्ति, समृद्धि और कला के प्रति समर्पण का प्रतीक बनाया।
मंदिर का निर्माण उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। यह मंदिर अपनी भव्यता और विशालता के कारण उस युग की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में हजारों कारीगरों, मजदूरों और कलाकारों ने कई वर्षों तक मेहनत की थी।
मंदिर का स्थापत्य
Brihadeeswara Temple द्रविड़ शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसकी संरचना और डिज़ाइन इतने सटीक और वैज्ञानिक हैं कि यह आज भी इंजीनियरों और पुरातत्वविदों को आश्चर्यचकित करता है। मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- विमानम (गोपुरम): मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका 66 मीटर ऊँचा विमानम (मंदिर का शिखर) है, जो द्रविड़ स्थापत्य की विशेषता है। यह 13 मंजिलों वाला शिखर है, जिसके शीर्ष पर 80 टन वजन का एकाश्मक (एकल पत्थर का) गुंबद स्थापित है। इस विशाल पत्थर को शिखर तक ले जाने की तकनीक आज भी एक रहस्य बनी हुई है।
- नंदी मूर्ति: मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान शिव के वाहन नंदी की विशाल मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति एक ही पत्थर से तराशी गई है और इसकी ऊँचाई लगभग 12 फीट है। यह भारत में नंदी की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है।
- मंडप और गर्भगृह: मंदिर का गर्भगृह भगवान शिव के विशाल लिंगम को समर्पित है, जिसे राजराजेश्वर कहा जाता है। गर्भगृह के चारों ओर कई मंडप और गलियारे हैं, जिनमें सुंदर नक्काशी और भित्ति चित्र बने हैं।
- नक्काशी और मूर्तियाँ: मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी और मूर्तियाँ चोल काल की कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इनमें शिव, विष्णु, गणेश, पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, नृत्य करती हुई अप्सराओं और संगीत वाद्य यंत्रों की आकृतियाँ भी यहाँ देखी जा सकती हैं।
- वैज्ञानिक डिज़ाइन: मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया है कि इसकी छाया कभी भी ज़मीन पर नहीं पड़ती। यह एक आश्चर्यजनक इंजीनियरिंग उपलब्धि है। इसके अलावा, मंदिर का निर्माण भूकंपरोधी तकनीकों को ध्यान में रखकर किया गया है, जिसके कारण यह 1000 वर्षों से अधिक समय तक अडिग खड़ा है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
Brihadeeswara Temple केवल एक स्थापत्य चमत्कार ही नहीं, बल्कि एक प्रमुख धार्मिक केंद्र भी है। यहाँ भगवान शिव की पूजा राजराजेश्वर के रूप में की जाती है। मंदिर में साल भर कई उत्सव और धार्मिक समारोह आयोजित होते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि, नवरात्रि और आदिपूरम प्रमुख हैं।
मंदिर के परिसर में कई छोटे मंदिर और मूर्तियाँ भी हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। यहाँ के भित्ति चित्र और शिलालेख चोल वंश के इतिहास, उनके प्रशासन और समाज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
रोचक तथ्य
- यूनेस्को विश्व धरोहर: Brihadeeswara Temple को 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह चोल मंदिरों के समूह का हिस्सा है, जिसमें गंगैकोंडचोलपुरम और ऐरावतेश्वर मंदिर भी शामिल हैं।
- शिलालेख: मंदिर की दीवारों पर तमिल और संस्कृत में कई शिलालेख हैं, जो राजा राजा चोल के शासनकाल, दान और मंदिर के प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हैं।
- संगीत और नृत्य: मंदिर का परिसर चोल काल में नृत्य और संगीत का केंद्र भी था। यहाँ की नक्काशी में भरतनाट्यम नृत्य की विभिन्न मुद्राएँ देखी जा सकती हैं।
- प्रकाश और छाया का खेल: मंदिर का डिज़ाइन इस तरह बनाया गया है कि सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुँचती हैं, जिससे यहाँ का आध्यात्मिक वातावरण और भी पवित्र हो जाता है।
कैसे पहुँचें
Brihadeeswara Temple तमिलनाडु के तंजावुर शहर में स्थित है। तंजावुर रेल, सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- निकटतम हवाई अड्डा: तिरुचिरापल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 60 किमी दूर)।
- रेलवे स्टेशन: तंजावुर जंक्शन, जो मंदिर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है।
- सड़क मार्ग: तंजावुर चेन्नई, मदुरै और तिरुचिरापल्ली जैसे प्रमुख शहरों से बसों और टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
Brihadeeswara Temple केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और स्थापत्य का एक जीवंत प्रतीक है। इसकी भव्यता, नक्काशी और वैज्ञानिक डिज़ाइन इसे विश्व के सबसे अनूठे मंदिरों में से एक बनाते हैं। यदि आप तमिलनाडु की यात्रा पर हैं, तो Brihadeeswara Temple को अपनी सूची में अवश्य शामिल करें। यहाँ की शांति, आध्यात्मिकता और ऐतिहासिक वैभव आपको एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगा।
जय शिव शंभु!
~: धन्यवाद :~
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