रामदास के गोलगप्पे बेचने से लेकर ISRO में नौकरी लगने तक का सफर।

रामदास के गोलगप्पे बेचने से लेकर ISRO में नौकरी लगने तक का सफर।

🌟 संघर्ष से सफलता तक: रामदास मारबड़े की प्रेरणादायक यात्रा

यह कहानी महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव के युवा की वास्तविक जीवन यात्रा है, जिसने गोलगप्पे बेचने से लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में तकनीशियन बनने तक का सफर तय किया।

📍 गाँव से गोलगप्पे तक: एक साधारण शुरुआत

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के छोटे से गाँव खैरबोड़ी में जन्मे रामदास का जीवन शुरुआत से ही चुनौतियों से भरा रहा।
उनके पिता श्री. गंगाराम मारबड़े एक सरकारी स्कूल में चपरासी थे और माँ श्रीमती सुमन मारबड़े गृहिणी थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण,
रामदास ने अपने परिवार की मदद के लिए गोलगप्पे बेचने का काम शुरू किया।

“मैं सुबह 4 बजे उठकर गोलगप्पे तैयार करता था, फिर साइकिल पर लादकर आसपास के गाँवों में बेचने जाता था। दोपहर तक गोलगप्पे बेचने के बाद स्कूल जाता और शाम को फिर से काम पर निकल जाता।” – रामदास मारबड़े

📚 शिक्षा के प्रति अदम्य लगन

रामदास ने गणेश हाई स्कूल, गुमधवाड़ा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने बी.ए. की डिग्री पत्राचार के माध्यम से प्राप्त की।
इसके साथ ही, उन्होंने तिरोड़ा में स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) से पंप ऑपरेटर-कम-मेकैनिक का कोर्स किया, जिससे उन्हें तकनीकी कौशल प्राप्त हुआ।

🚀 ISRO में चयन: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

2023 में, जब इसरो ने तकनीशियन पदों के लिए आवेदन मांगे, तो रामदास ने आवेदन किया।
नागपुर में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, अगस्त 2024 में उन्होंने श्रीहरिकोटा में स्किल टेस्ट दिया।
उनकी मेहनत रंग लाई और मई 2025 में वे इसरो के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर में
तकनीशियन (पंप ऑपरेटर-कम-मेकैनिक) के पद पर नियुक्त हुए।

ISRO में रामदास की प्रमुख जिम्मेदारियाँ:

  • लॉन्च व्हीकल के हाइड्रोलिक सिस्टम्स में प्रयुक्त पंपों का संचालन
  • प्रेशर सिस्टम्स की निगरानी और समस्या निवारण
  • ग्राउंड सपोर्ट इक्विपमेंट में तकनीकी सहायता

💡 समाज के लिए प्रेरणा

रामदास की सफलता ने उनके गाँव और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए एक नई राह खोल दी है। उन्होंने अपने गाँव में एक छोटी सी लाइब्रेरी स्थापित की है, जहाँ वे नियमित रूप से बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं।

“रामदास भैया ने हमें सिखाया है कि गरीबी हमारे सपनों की सीमा नहीं हो सकती। अब हम भी उनकी तरह मेहनत करके कुछ बनना चाहते हैं।” – सुरेश मारबड़े (गाँव का युवा)

📌 जीवन के मूल्यवान सबक

रामदास की यात्रा से हम कई महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं:

  1. संघर्ष ही सफलता की कुंजी है: कठिन परिस्थितियों से घबराने के बजाय उन्हें चुनौती के रूप में स्वीकार करें
  2. शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है: ज्ञान और कौशल ही वास्तविक संपत्ति हैं
  3. समय प्रबंधन महत्वपूर्ण है: काम और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना सीखें
  4. सपने देखना न छोड़ें: कोई भी लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं होता

🌈 निष्कर्ष: साधारण से असाधारण तक की यात्रा

रामदास मारबड़े की कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की उस मानसिकता को चुनौती देती है जो गरीबी और पृष्ठभूमि को सफलता में बाधक मानती है। उन्होंने साबित किया कि यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो और प्रयास निरंतर हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। आज रामदास न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व का विषय बन चुके हैं।

उनकी जीवन यात्रा हम सभी के लिए यही संदेश छोड़ती है – संघर्ष करो, सपने देखो और सफलता अवश्य मिलेगी।


~: धन्यवाद :~

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